Indian Legal System

आजकल के समय में रेप, छेड़छाड़, सैक्शुअल हैरेसमैंट के झूठे आरोप धड़ल्ले से लगाए जा रहे हैं। लोगों के जीवन बरबाद हो रहे हैं, सरकारी दफ्तरों के पुरुषों का एक बड़ा वर्ग सरकारी काम छोड़कर खुद को बचाने में लगा हुआ है। डिपार्टमैन्टल एन्क्वायरीज़ चलाई जा रही हैं। लोग अपने काम छोड़कर कोर्ट-केस भुगत रहे हैं। पूरे देश में जैसे कोई और काम नहीं रह गया है।

शादियों के नाम पर लोग मुलजिम तथा आरोपी बनाए जा रहे हैं। The Supreme Court ने बीस साल पुराने रेप और चीटिंग के आरोप को यह कहते हुए समाप्त किया कि आरोपी और शिकायतकर्ता प्रेम में थे और उनके संबंध सहमति के आधार पर थे। FIR के समय वर्ष 1999 में शिकायतकर्ता स्वयँ 25 वर्ष की थी।

कहीं शादी के नाम पर कहीं फसल कटाई के नाम पर बीस बीस साल चलने वाले मुकद्दमे ठोके जा रहे हैं।

यह आम धारणा बन गई है कि पुरुष वर्ग में जन्म ले लेना ही शापित हो गया है। बिना कानूनी प्रक्रिया को निभाए ही पुरुषों को सजा दे देना एक नया फैशन बन गया है।

ऐसे में पुरुषों को भी कानून के अनुसार न्याय मिले, उनके साथ अन्याय ना होने पाए, उन्हें भी बचाव का पूरा मौका दिया जाए, केवल झूठे एलीगेशन के आधार पर सजा ना सुनाई जाए। जब आपके ऊपर अचानक रेप, छेड़छाड़, सैक्शुअल हैरेसमैंट का झूठा आरोप लगा दिया जाए तो उस समय आपको कुछ Tips की जरूरत होती है और जरूरत होती है एक

  • सलाहकार की जरूरत पड़ती है जो हर कदम पर आपको बताए कि क्या करना है और क्या नहीं करना है।
  • अनुभवी गाईड की जरूरत पड़ती है जो आपको Forensic, MLC, Recovery, Seizure आदि की बारीकियाँ बता कर गलती से दूर रखे।
  • जानकार साथी की जरूरत होती है जो पहले आपको समझे और आपकी बात कोर्ट को समझा दे।

और इन सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह कि आपकी Privacy का ध्यान रखे और उसे भंग ना होने दे।

  • साथ ही मीडिया को भी आपकी फजीहत ना करने दे।

यानी कि आपको एक पूरा सपोर्ट सिस्टम  चाहिए। ऐसा सपोर्ट सिस्टम जो आपका हर तरह से ख्याल रखे – Legally, Forensically, Prosecutorially, Socially and Morally also.

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